Utpanna Ekadashi 2023: जीवन में सुख और मोक्ष के लिए जरूर पढ़ें उत्पन्ना एकादशी की व्रत कथा, जानें कथा का महत्व

December me Utpanna ekadashi Kab Hai:  एक वर्ष में कई एकादशी आती हैं, लेकिन मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व है। इस एकादशी का व्रत करने से लोगों को सुख और शांति की प्राप्ति होती है, और उन्हें मृत्यु के बाद विष्णु लोक में वास करने का अनुभव होता है। इसे “उत्पन्ना एकादशी” भी कहा जाता है, क्योंकि इस दिन लोक को परोपकार करने वाली देवी का जन्म हुआ था। कुछ लोग इसे “कन्या एकादशी” भी कहते हैं। इस बार उत्पन्ना एकादशी 8 दिसंबर को मनाई जाएगी।

उत्पन्ना एकादशी व्रत कथा

सतयुग में, एक असुर नामक मुर ने देवताओं को पराजित कर इंद्रदेव को उनकी पदवी से हटा दिया और देवताओं पर अत्याचार किया। पीड़ित देवता भगवान शंकर के पास गए और उनकी सलाह पर विष्णु जी की शरण में गए। देवताओं ने अपनी समस्या विष्णु जी को बताई तो वह तत्पर थे देवताओं की मदद करने के लिए। विष्णु ने धनुष से बाण चलाया, जिससे कई दानवों की मृत्यु हो गई, लेकिन मुर दानव को तब भी मृत्यु नहीं हुई क्योंकि उसने देवताओं से अजेय रहने का वरदान प्राप्त किया था।

कन्या ने किया मुर राक्षस का वध

मुर दानव का वध नहीं होने से दुखी विष्णु जी बद्रिकाश्रम की गुफा में चले गए। मुर ने इस बात का पता लगाया और उसने विष्णु जी को मारने का निश्चय किया। तब, विष्णु जी के शरीर से एक कन्या पैदा हुई जिसने मुर का संहार किया। इसके बाद कन्या ने विष्णु जी से बताया कि वह उनके शरीर से ही पैदा हुई है और विष्णु जी ने उसे आशीर्वाद दिया कि वह मायाजाल में फंसे हुए प्राणियों को उनकी ओर ले आएगी और उन्हें उनके लोक में ले जाएगी। इस प्रकार, विष्णु जी के शरीर से उत्पन्न होने के कारण ही इसे उत्पन्ना एकादशी या कन्या एकादशी कहा जाता है।

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्‍य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ukmssbexam.com इसकी सत्यता की पुष्टि नहीं करता है।)



WhatsApp Group Join Now
Telegram GroupJoin Now

Leave a Comment